प्रवासी पक्षियों की कलरव से गुलजार हो रहा है
अहार,-गंगा किनारे स्थित अहार क्षेत्र प्रवासी पक्षियों की कलरव से गुलजार हो रहा है।क्षेत्र में विभिन्न प्रजातियों के प्रवासी पक्षियों की चहचहाहट दिनभर सुनाई पड़ती है।गंगा किनारे ओर बीच में बने टापुओं पर इनकी अटखेलियां चल रही है।हरियाली के लिए जाने वाले इस क्षेत्र में प्रतिवर्ष हजारों की संख्या में प्रवासी पक्षी पहुँचते है।
गंगा किनारे बसा अहार क्षेत्र पर्यवारण की दृष्टि से काफी सुगम क्षेत्र है।यहाँ चांसी गांव से लेकर सिरोरा बांगर तक गंगा किनारे सैकड़ो बीघा भूमि पर काफी सघन वन क्षेत्र खड़ा है जिसमें विभिन्न प्रजाति के छोटे बड़े पेड़ पौधे लगे हुए है।यह जंगल जंतुओं के रहने का एक मुख्य क्षेत्र है।आबादी से दूर गंगा का खादर क्षेत्र हमेशा हरियाली से हरा भरा रहता है।सर्दियों का मौसम शुरू होते ही यहाँ प्रतिवर्ष की तरह हजारों किलोमीटर की दूरी तय करके आने वाले प्रवासी पक्षियों का आगमन शुरू हो गया है।गंगा किनारे पहुँचे प्रवासी पक्षी बिना किसी भय के खूब अठखेलियाँ करते नजर आरहे है।रात के अंधेरे में वन क्षेत्र में चले जाने के बाद सूर्योदय के साथ गंगा किनारे पहुँच जाते है ओर गंगा की धारा से जलीय जीवों का शिकार करते है।गंगा किनारे क्षेत्र में दिन भर इधर से उधर इनकी उड़ान लगी रहती है।गंगा में बने टापुओं पर यह धूप सेंकने के साथ साथ अपना शिकार भी करते है।गंगा किनारे किसानों के खेतों में उगाए गये अनाज से भी से यह अपने पेट भरने का इंतजाम करते है।
प्रवासी पक्षियों का भाता है,गंगा किनारे का क्षेत्र
-प्रतिवर्ष हजारों किलोमीटर की दूरी तय कर आने वाले विदेशी मेहमानों को गंगा किनारे वाला अहार क्षेत्र काफी भाता है।हरियाली के साथ साथ यहाँ का शांत वातावरण प्रवासी पक्षियों के लिहाज से काफी फायदेमंद है।इस क्षेत्र में वायु व ध्वनि प्रदूषण न होने के कारण पक्षियों पर भी इसका प्रतिकूल प्रभाव नही पड़ता है।
इन पक्षियों का हुआ है आगमन
-प्रवासी पक्षियों में ब्राज हेडेड ग्रीज,जलकाज,सारस,रिवर टर्न,ब्लैक हेडेड गल,जल कुकरी, जल कौआ,कॉम्ब बत्तख,ब्राहमी डक,कामन कूट,ब्लैक आइबिस आदि प्रजाति के पक्षी क्षेत्र में पहुँचना शुरू हो गये है।