दिल्ली जल बोर्ड के पिछले 15 साल के खातों की होगी सीएजी ऑडिट, भ्रष्टाचार के आरोपों पर केजरीवाल सरकार का फैसला
दिल्ली जल बोर्ड में वित्तीय अनियमितताओं और भ्रष्टाचार के आरोपों
के बीच केजरीवाल सरकार ने पिछले 15 साल के खातों का ऑडिट कराने का निर्णय लिया है। खातों की
ये ऑडिट सीएजी से कराई जाएगी। बुधवार को दिल्ली सचिवालय में प्रेस वार्ता कर मंत्री आतिशी ने यह
जानकारी दी। उन्होंने बताया कि ऑडिट में वित्तीय अनियमितता या भ्रष्टाचार पाया जाता है तो आरोपी
के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी।
सीएजी से जल्द जांच पूरी करने का आग्रह किया जाएगा। साथ ही
जांच रिपोर्ट जनता के समक्ष रखी जाएगी। उन्होंने कहा कि मैं सभी विपक्षी पार्टियों और दिल्ली की
जनता को याद दिलाना चाहती हूं कि आम आदमी पार्टी आंदोलन से जन्मी पार्टी है। इसकी भ्रष्टाचार के
प्रति जीरो टॉलरेंस की नीति है। यह वह पार्टी है जिसने दिल्ली और पंजाब सरकार में जब यह बात
सामने आई कि हमारे सीटिंग मंत्री भ्रष्टाचार कर रहे थे तो बिना किसी एफआईआर के बिना किसी जांच
के सीटिंग मिनिस्टर को हटा दिया गया।
आम आदमी पार्टी ने ना आज तक भ्रष्टाचार किया है और ना
ही करेगी। मंत्री ने कहा कि दिल्ली सरकार में पिछले 8 साल में ना एक पैसे का भ्रष्टाचार किया है और
ना ही एक पैसे का भ्रष्टाचार करेंगे। आज पब्लिक में दिल्ली सरकार के महत्वपूर्ण हिस्से जल बोर्ड में
वित्तीय अनियमितता और भ्रष्टाचार को लेकर बार-बार विपक्ष सवाल उठा रहा है। ऐसे में पारदर्शिता के
लिए मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने भ्रष्टाचार के खिलाफ लड़ाई लड़ने के लिए और सारे तथ्यों को
सामने लाने के लिए दिल्ली जल बोर्ड के पिछले 15 साल का स्पेशल ऑडिट सीएजी द्वारा कराने का
फैसला लिया है।
2008 से लेकर अब तक दिल्ली जल बोर्ड के सारे अकाउंट्स का सीएजी द्वारा स्पेशल
ऑडिट करवाया जाएगा। उन्होंने बताया कि यह स्पेशल ऑडिट दिल्ली जल बोर्ड एक्ट और सीएजी के
एक्ट के तहत कराया जाएगा। हम सीएजी से आग्रह करेंगे कि जल्द से जल्द ऑडिट पूरी करें। इसकी
रिपोर्ट विपक्ष और दिल्ली की जनता के समक्ष रखा जाएगा। यदि किसी के द्वारा भ्रष्टाचार या वित्तीय
अनियमितता पाई गई तो सख्त कार्रवाई की जाएगी। जरूरत पड़ी तो केस को पुलिस या सीबीआई को भी
दिल्ली सरकार भेजेगी।
मंत्री आतिशी ने कहा कि केंद्र द्वारा फंड जारी ना होने से समस्याओं पर काम
नहीं हो पा रहा है। दिल्ली में जीएनसीटीडी अमेंडमेंट एक्ट आने के बाद ये समस्याएं आ रही हैं। इसके
द्वारा अफसरों या अधिकारियों को सस्पेंड करने या कोई कार्रवाई करने की ताकत एलजी को दे दिया
गया है। जब से यह एक्ट आया है दिल्ली सरकार के अफसर ने चुनी हुई सरकार के मंत्रियों के आदेश
मानने से मना कर दिया है।