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फोर्टिस हॉस्पीटल वसंत कुंज ने स्वास्थ्य को बेहतर करने के लिए शुरू किया ओबेसिटी क्लीनिक

नई दिल्ली : भारत में मोटापे की समस्या का बोझ कम करने के उद्देश्य से, फोर्टिस हॉस्पीटल वसंत कुंज ने आज ओबेसिटी क्लीनिक शुरू किया है, जिसका उद्घाटन केंद्रीय खाद्य प्रसंस्करण उद्योग मंत्री श्री चिराग पासवान ने किया। इस अवसर पर डॉ आशुतोष रघुवंशी, एमडी एवं सीईओ, फोर्टिस हेल्थकेयर, श्री अनिल विनायक, ग्रुप चीफ ऑपरेटिंग ऑफिसर, फोर्टिस हेल्थकेयर, डॉ बिष्णु प्रसाद पाणिग्रहि, ग्रुप हेड – एमएसओजी फोर्टिस हेल्थकेयर, डॉ मुग्धा तापड़िया, डायरेक्टर – इंटरनल मेडिसिन, फोर्टिस वसंत कुंज तथा डॉ गुरविंदर कौर, फेसिलिटी डायरेक्टर, फोर्टिस हॉस्पीटल वसंत कुंज भी उपस्थित थे।

लॉन्च के मौके पर, केंद्रीय खाद्य प्रसंस्करण उद्योग मंत्री श्री चिराग पासवान ने कहा, “मोटापा आज देश की सर्वाधिक चुनौतीपूर्ण स्वास्थ्य समस्याओं में से एक बन चुका है। मोटापा केवल शारीरिक स्वास्थ्य ही नहीं बल्कि मानसिक स्वास्थ्य, उत्पादकता और लोगों के जीवन की गुणवत्ता को भी प्रभावित करता है। अब जबकि हम सेहतमंद भारत के लिए प्रयासरत हैं, तो ऐसे में यह महत्वपूर्ण है कि हम मोटापे जैसे लाइफस्टाइल से जुड़े रोगों से भी पूरी गंभीरता से लें। मैं मोटापे से लड़ने के लिए समर्पित इस ओबेसिटी क्लीनिक के लॉन्च के लिए फोर्टिस हेल्थकेयर की सराहना करता हूं। इस पहल से लोगों को विशेषज्ञों की देखरेख में वैज्ञानिक रूप से सम्मत उपचार की सुविधा उपलब्ध होगी जो उनके जीवन में वास्तविक बदलाव लाएगा। बचाव, शुरुआती स्टेज में डायग्नॉसिस और समुचित प्रकार का सपोर्ट सिस्टम वक्त का तकाज़ा है, और फोर्टिस ने इस दिशा में पहल कर हेल्थकेयर इंडस्ट्री के लिए महत्वपूर्ण उदाहरण प्रस्तुत किया है।”

डॉ मुग्धा तापड़िया, डायरेक्टर – इंटरनल मेडिसिन, फोर्टिस वसंत कुंज ने कहा, “मोटापा हमारे समय की सबसे अधिक चुनौतीपू्र्ण स्वास्थ्य समस्याओं में से एक है, जिसका न सिर्फ प्रभाव साफ दिखायी देता है, बल्कि इसकी वजह से गंभीर किस्म की स्वास्थ्य समस्याएं भी पेश आती हैं। हमारे समर्पित ओबेसिटी क्लीनिक में, हम केवल वेट लॉस तक ही सीमित नहीं रहते बल्कि हमारा मकसद मरीजों की मोटापे से जुड़ी अन्य जटिलताओं का प्रबंधन करना भी है। पिछले एक दशक के दौरान, मोटोपे से जुड़े चिकित्सा क्षेत्र में बड़े पैमाने पर क्लीनिकल रिसर्च की गई है और यूएसएफडीए द्वारा स्वीकृत दवाओं में से कुछ को अब सीडीएससीओ ने भी मंजूरी दे दी है तथा ये दवाएं भारत में भी उपलब्ध हैं।

इस क्लीनिक में शारीरिक संरचना के विश्लेषण की उन्नत सुविधाएं उपलब्ध करायी गई हैं और नतीजों को स्पष्ट रूप से तथा वैज्ञानिक तरीकों से बताया जाता है। हमारा ओबेसिटी मैनेजमेंट प्रोग्राम हर व्यक्ति की अलग-अलग जरूरत के मुताबिक तैयार किया गया है और केवल वेट मैनेजमेंट के लिए ही नहीं बल्कि बॉडी इमेज, न्यूट्रिशन, मेंटल हेल्थ, शारीरिक एक्टिविटी से जुड़े पक्षों पर भी ध्यान देता है। मोटापे और संबंधित जटिलताओं कोत्पन्न करने वाले कारकों का पता लगाने के लिए हमने विस्तृत जांच, शारीरिक परीक्षण और मेडिकल स्केल्स के आधार पर मूल्यांकन किए। इनके बाद, हमारी मल्टीडिसीप्लीनरी टीम ने, जिसमें डॉक्टर, साइकोलॉजिस्ट, डायटिशियन तथा फेजियोथेरेपिस्ट शामिल हैं, गहराई से जांच-पड़ताल के बाद हरेक मरीज के लिए संपूर्ण केयर प्लान तैयार किया है।”

हाल के अध्ययनों ने भी भारत में मोटापे की समस्या से तत्काल निपटने की जरूरत पर जोर दिया है। द लॉन्सेट में प्रकाशित एक वैश्विक विश्लेषण के मुताबिक, भारत में 2050 तक सभी आयुवर्गों के कुल-मिलाकर 440 मिलियन लोग मोटापे और ओवरवेट की समस्या से ग्रस्त हो सकते हैं। मोटापा एक जटिल, क्रोनिक, रीलेप्सिंग और प्रोग्रेसिव रोग है जिसमें अत्यधिक मात्रा में एडिपोस टिश्यू जमा हो जाते हैं जो स्वास्थ्य के लिए संकट पैदा कर सकते हैं।

दुनियाभर में गैर-संक्रामक रोगों (एनसीडी) में प्रमुख रूप से योगदान करने वाला मोटापा प्रभावित व्यक्ति में कार्डियोवास्क्युलर (हृदय संबंधी), मेटाबोलिक, ओंकोलॉजिक (कैंसर) और मस्क्युलोस्केलटल विकारों का जोखिम भी बढ़ाता है। भारत दुनिया में 3 सर्वाधिक मोटापाग्रस्त देशों में से है, जिसकी 70% शहरी आबादी ओवरवेट है।

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