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एनआईटी कुरुक्षेत्र शोध व नवाचार का मज़बूत स्तंभ बनकर नई ऊँचाइयाँ छूएगा – राज्यपाल

हरियाणा के राज्यपाल प्रो. असीम कुमार घोष ने कहा कि एनआईटी कुरुक्षेत्र, जो भारत के रिसर्च और इनोवेशन इकोसिस्टम में एक महत्वपूर्ण स्तंभ के रूप में तेजी से उभर रहा है, आने वाले समय में गौरव और उपलब्धियों की नई ऊँचाइयों को प्राप्त करेगा।

राज्यपाल प्रो. असीम कुमार घोष रविवार को एनआईटी कुरुक्षेत्र के 20वें दीक्षांत समारोह में युवा स्नातकों और मेडल प्राप्तकर्ताओं को संबोधित कर रहे थे। इस समारोह में भारत के उपराष्ट्रपति श्री सी.पी. राधाकृष्णन मुख्य अतिथि के रूप में तथा हरियाणा के मुख्यमंत्री श्री नायब सिंह सैनी विशिष्ट अतिथि के रूप में शामिल हुए।

नव–स्नातक विद्यार्थियों को बधाई देते हुए राज्यपाल ने कहा कि उनकी उपलब्धियाँ विकसित भारत @ 2047 के उस व्यापक विज़न से गहराई से प्रेरित हैं, जिसके प्रति हरियाणा सरकार मुख्यमंत्री श्री नायब सिंह सैनी के नेतृत्व में शिक्षा सुधार, डिजिटल गवर्नेंस, औद्योगिक साझेदारी और समावेशी ग्रामीण विकास को लेकर दृढ़ता से प्रतिबद्ध है।

राज्यपाल ने कहा कि पिछले कुछ वर्षों में एनआईटी कुरुक्षेत्र ने शैक्षणिक क्षेत्र में उल्लेखनीय रूपांतरण किया है। यह संस्थान अब 15 स्नातक कार्यक्रम तथा 28 स्नातकोत्तर कार्यक्रम प्रदान करता है, जिनमें 17 एम.टेक, चार एम.एससी, एमबीए, एमसीए तथा इंटीग्रेटेड बी.टेक–एम.टेक सहित अन्य कार्यक्रम शामिल हैं।

उन्होंने कहा कि यह दीक्षांत समारोह केवल डिग्री प्रदान करने का अवसर न रहे, बल्कि अपने ज्ञान का उपयोग विनम्रता, करुणा और उत्तरदायित्व के साथ करने का एक संकल्प बने। मेरी कामना है कि आप आजीवन सीखते रहें और एक समृद्ध, समावेशी तथा सतत भारत के निर्माण में निरंतर योगदान दें, एक ऐसा भारत, जो एक पृथ्वी, एक परिवार, एक भविष्य के आदर्श में सच्चे मन से विश्वास करता है।

इस अवसर पर हरियाणा के मुख्यमंत्री श्री नायब सिंह सैनी ने कहा कि बदलते दौर में चुनौतियों का सरल व प्रभावी समाधान केवल नवाचार से संभव है। उन्होंने डिग्री धारक और पदक लेने वाले युवाओं से आह्वान किया कि वे अपने ज्ञान और कौशल का उपयोग समाज की समस्याओं को सरल बनाने में करें। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी द्वारा दिए गए आत्मनिर्भर भारत के संकल्प को साकार करने में युवाओं की भूमिका सबसे महत्वपूर्ण है। देश को विकसित भारत की दिशा में आगे बढ़ाने की जिम्मेदारी युवाओं के कंधों पर है। ऐसे में युवाओं को चाहिए कि वे केवल नौकरी पाने का लक्ष्य न रखें, बल्कि रोजगार सृजक, समाधानकर्ता और नवाचार के अग्रदूत बनें।

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