दिल्ली में सबसे अधिक इंटर स्टेट इलेक्ट्रिक बसों का संचालन
जीरो कार्बन उत्सर्जन की दिशा में पूरा विश्व काम कर रहा है. भारत
भी सराहनीय कार्य करते हुए इस दिशा में आगे बढ़ रहा है. दिल्ली भी ऐसा राज्य है, जहां सबसे अधिक
इलेक्ट्रिक बसें चल रही हैं. दिल्ली के अंदर ही नहीं अन्य राज्यों के लिए भी सबसे ज्यादा इलेक्ट्रिक बसों
का संचालन हो रहा है. दिल्ली में सिर्फ एक डीजल बस है,
जो नेपाल के लिए चलाई जाती है. प्रदूषण की
रोकथाम में यह सराहनीय कदम है. केंद्र व राज्य सरकार द्वारा इलेक्ट्रिक वाहनों को बढ़ावा दिया जा रहा
है, लेकिन सभी राज्यों में इल्क्ट्रिक वाहनों के संचालन के लिए इन्फ्रास्ट्रक्चर नहीं है. चार्जिंग प्वाइंट से
लेकर सर्विस सेंटर तक की बहुत कमी है. दिल्ली में ये सुविधाएं हैं, लिहाजा यहां पर सबसे ज्यादा
इलेक्ट्रिक वाहनों को बढ़ावा मिल रहा है.
दिल्ली ट्रांसपोर्ट इंफ्रास्ट्रक्चर डेवलपमेंट (डीटीडीआईसी) के अधिकारियों के मुताबिक, पहले आठ इलेक्ट्रिक
बसों का संचालन बीते वर्ष आगरा के लिए किया गया था. अब इसके बाद से लगातार बसों की संख्या
बढ़ रही है. अब 60 इलेक्ट्रिक बसें हो गई हैं, जिनका संचालन दिल्ली से अन्य राज्यों के शहरों के लिए
किया जा रहा है. अभी दिल्ली के कश्मीरी गेट, आनंद विहार, सराय काले खां व अन्य स्थानों से आगरा,
जयपुर, देहरादून, चंडीगढ़ के लिए चलाई जा रही है. इतनी इलेक्ट्रिक बसें कोई भी राज्य अन्य राज्यों के
लिए नहीं चलाता है.
दिल्ली के अंदर चल रहीं 902 ई-बसेंः दिल्ली ट्रांसपोर्ट कारपोरेशन के अधिकारियों के मुताबिक, डीटीसी के
बेड़े में कुल 902 इलेक्ट्रिक बसें हैं, जिनका संचालन दिल्ली के अंदर किया जा रहा है. देशभर में दिल्ली
इकलौता शहर है, जहां पर इतनी बड़ी संख्या में इलेक्ट्रिक बसें चल रही हैं. दिल्ली ट्रांसपोर्ट कारपोरेशन
(डीटीसी) के पास सिर्फ एक डीजल बस है, इसके अतिरिक्त सभी इलेक्ट्रिक या सीएनजी बसे हैं. इकलौती
इस डीजल बस का संचालन दिल्ली से नेपाल के लिए किया जाता है. अधिकारियों के मुताबिक, लंबे रूट
पर सीएनजी नहीं मिलती है. चार्जिंग की भी समस्या रहती है. नेपाल रूट पर पहाड़ी रास्ते हैं. ऐसे में
नेपाल के लिए डीजल बस चलाई जाती है.
इलेक्ट्रिक बसों के संचालन से फायदे
इलेक्ट्रिक बसों के संचालन से ध्वनि व वायु प्रदूषण नहीं होता है.
भारत में सबसे ज्यादा पब्लिक ट्रांसपोर्ट में दल्ली में ई-बसें चल रहीं है.
2025 तक और इलेक्ट्रिक बसें डीटीसी के बेड़े में शामिल की जाएंगी.
2030 तक सभी डिलीवरी कंपनियां इलेक्ट्रिक वाहन की चलाएंगी.