दिल्ली

दिल्ली के सरकारी स्कूलों की तस्वीर आने वाले भविष्य का आईना है, जो आने वाले सालों में शिक्षा के क्षेत्र में नई ऊंचाइयों को छुएगा

दिल्ली के सरकारी, एडेड और प्राइवेट स्कूलों के बच्चों को 10वीं और 12वीं में उनके उत्कृष्ट प्रदर्शन के लिए एक्सीलेंस इन एजुकेशन अवार्ड-2023 से सम्मानित किया गया। त्यागराज स्टेडियम में आयोजित अवार्ड समारोह में बतौर मुख्य अतिथि सीएम अरविंद केजरीवाल ने शिरकत की। त्यागराज स्टेडियम के गेट पर मुख्यमंत्री को बैंड द्वारा गार्ड ऑफ ऑनर किया गया और एनसीसी कैडेट्स उन्हें कार्यक्रम स्थल तक लाए। सीएम समेत अन्य गणमान्य लोगों ने दीप प्रज्वलित कर कार्यक्रम का विधिवत शुभारम्भ किया और डीओई के टीचर्स ने स्वागत गीत पेश किया और मंच पर सीएम को सम्मानित किया गया। इस अवसर पर शिक्षा मंत्री आतिशी, क्षेत्रीय विधायक मदन लाल, विधायक शिवचरण गोयल, विधायक भूपेंद्र जून, विधायक राजेश गुप्ता और विधायक महेंद्र समेत शिक्षा विभाग के वरिष्ठ अधिकारी मौजूद रहे।

हम सरकारी स्कूलों को हर तरह की सुविधाएं दे रहे हैं, ताकि हर बच्चा अपने हुनर को निखार सके-

इस अवसर पर सीएम अरविंद केजरीवाल ने सभी बच्चों का उत्साहवर्धन करते हुए कहा कि हर बच्चा भगवान की देन है। हर बच्चे की अपनी जिदंगी और यात्रा होती है। कुछ बच्चों को आज शिक्षा के क्षेत्र में अवार्ड मिले। इसका मतलब यह नहीं है कि जिन बच्चों को अवार्ड नहीं मिले, वो किसी मामले में कम हैं। भगवान ने हर बच्चे को कुछ न कुछ देकर भेजा है। हर बच्चे में कुछ न कुछ अच्छा होता है। हमारे स्कूलों और शिक्षा प्रणाली का फर्ज है कि हर बच्चा पूरी तरह से अपनी क्षमता को हासिल कर पाए, उसके लिए वैसा अवसर प्रदान करे। दिल्ली सरकार की हमेशा यही कोशिश रहती है। इसलिए हम दिल्ली के सभी सरकारी स्कूलों में तरह-तरह की सुविधाएं देने की कोशिश कर रहे हैं, ताकि हर बच्चा अपने हुनर को निखार पाए। इसलिए जिन बच्चों को अवार्ड नहीं मिला है, उन्हें मायूस होने की जरूरत नहीं है। आप अपने क्षेत्र में अपने हुनर को आगे बढ़ाएं, हम आपके साथ खड़े हैं।

दिल्ली के अंदर शिक्षा क्रांति का सबसे बड़ा श्रेय हमारे सरकारी स्कूलों के शिक्षकों को जाता है- 

सीएम अरविंद केजरीवाल ने कहा कि पिछले 7-8 साल के अंदर दिल्ली के अंदर शिक्षा के क्षेत्र में आई क्रांति की चर्चा पूरी देश और विश्व में हो रही है। दिल्ली के अंदर आई शिक्षा क्रांति का श्रेय हमारे सरकारी स्कूलों के शिक्षकों को जाता है। दिल्ली सरकार के स्कूलों में 60-70 हजार टीचर काम करते हैं। हमारी सरकार ने किसी टीचर को बदला नहीं, आज भी वही टीचर हैं, जो पहले थे। मैं यह जरूर मानता हूं कि हमारी सरकार ने सरकारी स्कूलों में अच्छा माहौल दिया। आज दिल्ली के सरकारी स्कूलों के अंदर सर्वश्रेष्ठ सुविधाएं हैं। शिक्षकों को सम्मान मिलता है, टीचर्स को ट्रेनिंग के लिए आईआईएम और विदेशों में भेजा जाता है। अच्छा माहौल मिलते ही हमारे टीचर्स ने कमाल करके दिखा दिया। ऐसा लग रहा था कि जैसे टीचर्स अवसर मिलने का इंतजार कर रहे थे। हमारे स्कूलों के टीचर्स ने मात्र 5-7 साल के अंदर ही कमाल करके दिखा दिया और अब हमारे स्कूलों के बच्चे आईआईटी, मेडिकल के एग्जाम क्वालिफाई कर रहे थे।

हमारे टीचर्स का कमाल ही है कि अवार्ड पाने वाले ज्यादातर बच्चे टीचर बनना चाहते हैं- अरविंद केजरीवाल

सीएम अरविंद केजरीवाल ने बताया कि आईआईटी व मेडिकल की परीक्षा पास करने वाले एक से डेढ़ हजार बच्चों और उनके पैरेंट्स के साथ मैंने त्यागराज स्टेडियम में संवाद किया था। लगभग हर बच्चे ने अपनी सफलता का श्रेय अपने किसी न किसी टीचर को दिया। कई बच्चों ने बताया कि उनके टीचर ने अपनी सैलरी के पैसे से किताब खरीद कर दी। ऐसे टीचर जिंदगी भर याद रहते हैं। 10वीं, 11वीं और 12वीं में ही बच्चे अपने आगे का रास्ता तय करता है। मुझे 10वीं क्लास के सारे टीचर्स के नाम आज भी याद है। उन्होंने कहा कि पुरस्कार लेने आने वाले सभी बच्चों से पूछा कि वो आगे जाकर क्या बनना चाहते हैं तो 70-80 फीसद बच्चों ने जवाब दिया कि वो टीचर बनना चाहते हैं। हमारे सरकारी स्कूलों के टीचर ने ऐसा कमाल और जादू कर दिया है कि ज्यादातर बच्चे टीचर बनना चाहते हैं। इसका मतलब यह है कि हमारे टीचर्स बच्चों के सामने रोल मॉडल की तरह पेश आ रहे हैं।

1830 से पहले भारत की शिक्षा प्रणाली बहुत शानदार थी, नालंदा व तक्षशिक्षा विश्वविद्यालय में दुनिया भर से बच्चे पढ़ने आते थे- अरविंद केजरीवाल

सीएम ने कहा कि हमारे देश की शिक्षा प्रणाली 1830 के पहले बहुत शानदार थी। अगर हम प्राचीन भारत के इतिहास को देखे तो नालंदा विश्वविद्यालय, तक्षशिला विश्वविद्यालय में पूरी दुनिया के बच्चे पढ़ने आते थे। अंग्रेजों के आने के पहले हर गांव के अंदर एक गुरुकुल होता था और टीचर का दर्जा सबसे सुप्रीम होता था। गांव-समाज के अंदर सबसे ज्यादा इज्जत टीचर (गुरु) की होती थी। अंग्रेजों ने महसूस किया कि अगर हमने भारत की शिक्षा प्रणाली को बर्बाद नहीं किया तो भारत के उपर राज करना मुश्किल होगा। अंग्रेजों ने लार्ड मैकाले को भेजा। मैकाले ने 1830-40 के बीच एक-एक कर सारे गुरुकुल बर्बाद कर हमारे देश की शिक्षा प्रणाली को ध्वस्त कर दिया। गुरुकुल में बच्चों को तरह- तरह के हुनर भी सिखाए जाते थे, रट्टा नहीं मरवाया जाता था। हमारे देश की शिक्षा प्रणाली को ध्वस्त कर अंग्रेज रट्टा मारने वाली शिक्षा प्रणाली लेकर आए, जिसमें तरह-तरह की डिग्रियां तो मिलने लगीं, लेकिन रोजगार नहीं मिलता है।

अंग्रेजों की शिक्षा प्रणाली केवल क्लर्क पैदा करती है, इसे बदलने की जरूरत है- अरविंद केजरीवाल

सीएम अरविंद केजरीवाल कहा कि दुर्भाग्य वश यह हुआ कि आजादी के बाद हम लोगों ने अंग्रेजों की शिक्षा प्रणाली को नहीं बदला। सीएम ने स्पष्ट करते हुए कहा कि इसके लिए मैं किसी को भी दोष नहीं दे रहा हूं, क्योंकि आजादी के बाद और बहुत सारे काम करने थे। शायद इसलिए शिक्षा प्रणाली की तरफ किसी का ध्यान ही नहीं गया। आजादी के बाद दो काम करना बेहद जरूरी था। एक, हर गांव के अंदर पहले जो शिक्षा प्रणाली का विस्तार था, उसी तरह हमें गांव-गांव में स्कूल बनाने की जरूरत थी, वो स्कूल नहीं बनाए। दूसरा, अंग्रेजों के करिकुलम को बदलने की जरूरत थी। अंग्रेजों की शिक्षा प्रणाली केवल क्लर्क पैदा करती है। अंग्रेजों की शिक्षा प्रणाली बदलने की जरूरत थी। दिल्ली के अंदर हमने अंग्रेजों की शिक्षा प्रणाली को बदलने की शुरूआत की है, लेकिन हमारी बहुत छोटी सी सरकार है। जितना हम कर सकते हैं, उतनी कोशिश कर रहे हैं। मेरा मानना है कि अगर देश के हर बच्चे को अच्छी शिक्षा दे दो तो ये बच्चे ही अपने परिवार व देश की गरीबी दूर कर देंगे और देश को विकसित बना देंगे। हमने दिल्ली में अच्छी शिक्षा देकर दिखा दिया है। आज दिल्ली के अंदर गरीब से गरीब बच्चे को भी अच्छी शिक्षा मिल रही है।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *