हम कोशिश करेंगे कि आने वाले समय में ज्यादा से ज्यादा लोगों को अयोध्या दर्शन कराने के लिए लेकर जाएं- अरविंद केजरीवाल
भगवान श्रीराम के संदेश को हमें अपने जीवन में ढालने की कोशिश करनी चाहिए- अरविंद केजरीवाल
सीएम अरविंद केजरीवाल ने कहा कि अभी 22 जनवरी को अयोध्या में श्रीरामलला का प्राण प्रतिष्ठा किया गया। यह पूरे देश और विश्व के लिए एक बेहद गर्व, खुशी और बधाई की बात थी। चारों तरफ लोगों ने खूब उत्सब मनाया। एक तरफ जहां हमें श्री रामचंद्र जी की भक्ति करनी है, वहीं, दूसरी तरफ हमें उनके जीवन से प्रेरणा लेकर उनके संदेश को अपने जीवन में ढालने की कोशिश करनी है। उनका जीवन बेहद प्रेरणादायी है। उनके जीवन से हमें कई किस्से मिलते हैं जो हमें बड़े से बड़े त्याग, प्यार और मोहब्बत का संदेश देते हैं। हम सब जानते हैं कि किस तरह से अपने पिताजी के एक आदेश पर अपना राजपाट त्यागकर भगवान राम वनवास चले गए। जबकि अगली सुबह उनका राज्याभिषेक होने वाला था। अयोध्या में इसके लिए सारी तैयारियां कर ली गई थीं। सभी अयोध्यावासी हर्षाेल्लास में झूम रहे थे। वो बहुत खुश थे कि कल सुबह भगवान राम अयोध्या के राजा बनेंगे। अचानक शाम के वक्त भगवान राम के पास संदेशा आता है कि राजा दशरथ उन्हें अपने कमरे में बुला रहे हैं। भगवान राम दशरथ के कमरे में जाते हैं और वहां देखते हैं कि दशरथ बहुत दुखी मन से बैठे हैं, माता कैकई भी उनके पास हैं। कमरे में जाने के बाद माता कैकई उनको कहती हैं कि महाराज ने मुझे दो वर दिए हैं और मैंने उनसे वो दोनों वर मांगे हैं। पहला वर कि भगवान राम को 14 वर्ष के लिए वनवास जाना होगा और दूसरा वर कि उनकी जगह भरत को अयोध्या का राजा बनाया जाएगा।
भगवान श्रीराम के जीवन से हमें मां-बाप की आज्ञा का पालन, निःस्वार्थ सेवा और त्याग करने की सीख मिलती है- अरविंद केजरीवाल
सीएम अरविंद केजरीवाल ने कहा कि मैं सोच रहा था कि अगर यह आज का परिप्रेक्ष्य होता, जब पूरे अयोध्यावासी भगवान राम के साथ थे, वो भगवान राम को प्यार करते थे। अगर भगवान राम यह आदेश मानने से मना कर देते तो भी अयोध्या उनके साथ खड़ी होती। लेकिन भगवान राम तो भगवान थे, उन्हें किसी राजपाट से मोह नहीं था। उन्होंने माता कैकई और महाराज दशरथ को कहा कि ‘रघुकुल रीति सदा चली आई, प्राण जाए पर वचन न जाई’ आपके वचन का पालन होगा। उन्होंने दो मिनट के अंदर निर्णय लिया कि वो राजपाट नहीं संभालेंगे और 14 वर्षों के लिए वनवास जाएंगे। बिना किसी दुख और गम के चेहरे पर मुस्कान के साथ भगवान राम ने खुशी-खुशी 14 वर्ष के लिए वनवास चले गए। इससे हमें सीख मिलती हैं कि हमें अपने मां-बाप की आज्ञा का पालन करना चाहिए। और इससे हमें सीख मिलती है कि हमें निस्वार्थ भाव से सेवा करनी चाहिए। इससे हमें सीख मिलती है कि हमें किसी तरह का त्याग करने से पीछे नहीं हटना चाहिए।
आज खुद को रामभक्त कहने वाले दो भाई जमीन जायदाद के लिए लड़ रहे हैं, जबकि भगवान राम ने राजपाठ छोड़ दिया था- अरविंद केजरीवाल
सीएम अरविंद केजरीवाल ने कहा कि एक तरफ भगवान राम जब वनवास के लिए गए तो उस वक्त भरत अपनी नानी के घर गए हुए थे। वो अयोध्या में नहीं थे। जब भरत अयोध्या लौट कर आए और उन्हें पता चला कि उनकी माता ने महाराज दशरथ को कहकर भगवान राम को 14 वर्षों के लिए वनवास भेज दिया है तो उन्हें ये बर्दाश्त नहीं हुआ। भरत राम के पीछे-पीछे वनवास गए और वन में भगवान राम को ढूंढ कर उनके पैरों में गिर जाते हैं और कहते हैं कि हे भगवन! यह राजपाट मेरा नहीं है, आप वापस चलिए और वापस चलकर राजपाट संभालिए। इस पर भगवान राम कहते हैं कि नहीं भरत! यह राजपाट तुम्हारा है। मुझे लगता है कि पूरे मानव जाति के इतिहास में इस तरह का सुंदर दृश्य देखने को शायद कभी नहीं मिला होगा। जिसमें दो भाई एक दूसरे को राज्य देने के लिए लड़ रहे हैं लेकिन आज के जमाने में भाई एक दूसरे से जमीन लेने के लिए लड़ाई करते हैं। इसके बाद भरत भगवान राम की खड़ाऊ सिंहासन पर रखकर उनके नाम से शासन चलाते हैं। आजकल के जमाने में क्या होता है कि अगर एक सेठ के दो बेटे हैं। उसकी मौत पर दोनों बेटों में जमीन जायदाद को लेकर झगड़े शुरु हो जाते हैं। दोनों भाई अपने आपको राम का भक्त मानते हैं लेकिन दोनों जमीन के लिए कोर्ट में एक दूसरे से लड़ रहे हैं। आसमान से भगवान राम ऐसे भक्तों को देखकर दुखी होते होंगे कि ये मेरे कैसे भक्त हैं जो मेरा संदेश भी नहीं मानते हैं। हमें भगवान राम के जीवन को अपने जीवन में ढालना है, उनके संदेश को अपने जीवन में ढालना है।
भगवान श्रीराम जाति को नहीं मानते थे, जबकि आज हमारा समाज जाति के आधार पर बंटा हुआ है- अरविंद केजरीवाल
सीएम अरविंद केजरीवाल ने कहा कि भगवान राम जाति को नहीं मानते थे, वो जाति के आधार पर भेदभाव नहीं करते थे। जब भगवान राम वनवास गए तो चारों तरफ ये बात फैल गई कि वो वनवास आए हैं। बड़े-बड़े राजा उनके दर्शन करना चाहते थे, वहीं वन में एक माता शबरी रहती थीं, वो एक छोड़ी जाति से आती थीं और छुआछूत से प्रताड़ित थीं। माता शबरी भगवान राम की परम भक्त थी, भगवान राम बड़े-बड़े राजाओं को दर्शन देने के लिए उनके महलों में नहीं गए लेकिन गरीब शबरी की झोपड़ी में उसे दर्शन देने के लिए गए। उन्होंने माता शबरी के जूठे बेर खाए और कहा कि उन्होंने जीवन भर कभी इतना अच्छा आहार नहीं खाया। कोई मेरा भक्त प्यार से जो भी खिलाएगा वो मुझे मंजूर है। भगवान राम ऐसे थे, जो जाति के आधार पर कोई भेदभाव नहीं करते थे। आज हमारा समाज जाति के आधार पर पूरा बंटा हुआ है।