दलित नाबालिग बहनों के अपहरण, दुष्कर्म और हत्या मामले में चार आरोपियों को अदालत ने दोषीठहराया
लखीमपुर खीरी (उप्र), 11 अगस्त उत्तर प्रदेश के लखीमपुर खीरी जिले की एक अदालत ने
शुक्रवार को अनुसूचित जाति (दलित) की दो नाबालिग बहनों का अपहरण कर सामूहिक दुष्कर्म करने
और फिर हत्या के मामले में चार आरोपियों को दोषी करार दिया है।
विशेष लोक अभियोजक (पॉक्सो अधिनियम) बृजेश पांडेय ने पत्रकारों को बताया कि अदालत दोषियों की
सजा पर 14 अगस्त को सुनवाई करेगी।
उल्लेखनीय है कि 14 सितंबर, 2022 को निघासन कोतवाली क्षेत्र के एक गांव की दो दलित नाबालिग
बहनों का अपहरण कर दुष्कर्म के बाद बेरहमी से हत्या कर दी गई थी।
दोनों किशोरियों के शव गांव के
पास गन्ने के खेत के पास एक पेड़ पर लटके बरामद किए गए।
लोक अभियोजक ने बताया कि विशेष पॉक्सो अदालत के अपर सत्र व जिला न्यायाधीश राहुल सिंह ने
मुख्य आरोपी जुनैद और सुनील उर्फ छोटू को भारतीय दंड संहिता की धारा 363 (अपहरण), 376 डीए
(16 साल से कम उम्र की लड़की से सामूहिक बलात्कार), 302 (हत्या), 323 (जानबूझकर चोट पहुंचाने
के लिए सजा), 452 (घर में घुसपैठ करना), धारा 34 (एक ही इरादे से कई व्यक्तियों द्वारा आपराधिक
कृत्य) तथा धारा 201 (सबूत गायब करना) और पॉक्सो अधिनियम के तहत दोषी ठहराया।
उन्होंने कहा कि करीमुद्दीन और आरिफ नाम के दो अन्य आरोपियों को अदालत ने धारा 201 (साक्ष्यों
को गायब करना) के तहत दोषी ठहराया।
पांडेय ने कहा कि मामले में एक नाबालिग आरोपी की उम्र 16 से 18 साल के बीच होने के कारण
उसका मुकदमा भी पॉक्सो कोर्ट में चला और उस पर अदालत बाद की तारीख में फैसला सुनाएगी।
उन्होंने कहा कि छठे आरोपी का मुकदमा किशोर न्याय बोर्ड में चल रहा है।
उन्होंने बताया कि मामले में हत्या, बलात्कार एवं पॉक्सो अधिनियम तथा अनुसूचित जाति, जनजाति
निवारण अधिनियम की कई अन्य धाराओं के तहत प्राथमिकी दर्ज की गई थी
, जबकि मामले को
सुलझाने के लिए विशेष जांच दल (एसआईटी) का गठन किया गया था।
एसआईटी ने अपराध के सिलसिले में छह आरोपियों को गिरफ्तार किया, जिनमें से दो नाबालिग पाए
गए। एसआईटी ने अपनी जांच पूरी करने के बाद 28 सितंबर 2022 को विशेष पॉक्सो अदालत में आरोप
पत्र दाखिल किया था।