सोने के मुकुट से सजे रामलला, धारण की पीतांबरी
अयोध्या, 03 फरवरी (वेब वार्ता)। श्रीरामचंद्र कृपालु भजु मन हरण भव भय दारुणम। नवकंजलोचन,
कंज मुख कर कंज पद कंजारुणम। कंदर्प अगणित अमित छबि, नवनील नीरद सुंदरम। पटपीत मानहु
तड़ित रुचि-शुचि नौमि जनक सुतावरम। सिर मुकुट कुंडल तिलक चारु उदार अंग विभूषणम…। वसंत
पंचमी पर रामलला की इस स्तुति के साथ रामलला की दिव्य छवि का दर्शन कर श्रद्धालु मुग्ध होते
रहे। पीतांबरी धारण कर सोने के मुकुट से सजे रामलला भक्तों को मोहित कर रहे थे।
देर शाम तक दो लाख से अधिक श्रद्धालु दर्शन-पूजन कर चुके थे।वसंत पंचमी पर सोमवार को
रामलला ने पीतांबरी धारण किया। हालांकि दिन के क्रम में उन्हें सफेद वस्त्र धारण करना चाहिए था
लेकिन वसंत के कारण तीर्थ क्षेत्र की ओर से तैयार कराया गया विशेष पीत वस्त्र उन्हें धारण कराया
गया। वसंत के साथ ही रामनगरी में रंगोत्सव का भी आगाज हो गया है इसलिए रामलला को अबीर-
गुलाल भी अर्पित किया गया। प्रसाद स्वरूप राममंदिर के अर्चकों ने भी एक-दूसरे को गुलाल लगाया।
पुजारी अशोक उपाध्याय ने बताया कि चूंकि वसंत पंचमी का परिधान पीला रंग है, इसलिए रामलला
को सोने-चांदी के तारों से जड़ित पीले वस्त्र पहनाए गए। पूड़ी, सब्जी, खीर, हलवा, पकौड़ी, फल व
मिष्ठान का विशेष भोग भी अर्पित किया गया। बताया कि वसंत पंचमी के दिन से ही रामलला को
अबीर-गुलाल अर्पित करने का क्रम प्रारंभ कर दिया गया है। अब होली तक रामलला की नित्य सेवा
के क्रम में उन्हें अबीर-गुलाल भी अर्पित किया जाएगा।