बेंगलुरु भगदड़ को लेकर भाजपा प्रवक्ता संबित पात्रा ने कर्नाटक सरकार से पूछे गंभीर सवाल
बेंगलुरु भगदड़
भाजपा के राष्ट्रीय प्रवक्ता संबित पात्रा ने बेंगलुरु के चिन्नास्वामीस्टेडियम के बाहर हुई भगदड़ को लेकर कर्नाटक की कांग्रेस सरकार पर तीखा हमला बोला।प्रेस वार्ता को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा कि यह दुखद घटना न केवल कर्नाटक, बल्कि पूरेभारत के लिए शर्मनाक है। उन्होंने इस हादसे में 11 लोगों की मौत पर गहरा दुख जताया औरघायलों के शीघ्र स्वस्थ होने की कामना की।पात्रा ने कहा, “हम सभी इस दुखद प्रेस वार्ता में शामिल हैं।
काश हमें यह प्रेस वार्ता न करनी पड़ती।चिन्नास्वामी स्टेडियम में भगदड़ में 11 बेगुनाह लोगों की जान चली गई। हम शोक प्रकट करते हैं
और ईश्वर से प्रार्थना करते हैं कि उनके परिवारों को धैर्य और शक्ति मिले।”पात्रा ने इस घटना को महज हादसा नहीं, बल्कि सरकार की वजह से हुई भगदड़ बताया।उन्होंने कर्नाटक के मुख्यमंत्री सिद्धारमैया के बयान पर नाराजगी जताई, जिसमें उन्होंने कहा था किऐसी भगदड़ अन्य जगहों पर भी होती रहती है। पात्रा ने इसे गैर-जिम्मेदाराना बयान करार देते हुएकहा, “मुख्यमंत्री इसे सामान्य बताने की कोशिश कर रहे हैं, जबकि 11 लोगों की जान चली गईं। न भारत, न कर्नाटक और न ही बेंगलुरु के लोग मुख्यमंत्री और उपमुख्यमंत्री को माफ करेंगे।

उन्होंने सवाल उठाया कि चिन्नास्वामी स्टेडियम की क्षमता केवल 35,000 लोगों की है, फिर तीनलाख लोगों को विजय जुलूस में शामिल होने की अनुमति कैसे दी गई? पात्रा ने कहा, “खबरें आ रहीहैं कि पुलिस ने इस विजय जुलूस के लिए कोई अनुमति नहीं दी थी। फिर भी यह आयोजन किसकेकहने पर हुआ? पुलिस और आयोजकों के बीच कोई तालमेल क्यों नहीं था?”उन्होंने यह भी पूछा कि जब लोग मर रहे थे, तब भी उत्सव क्यों जारी रहा? लोगों की लाशों परमुस्कुराते हुए मुख्यमंत्री और उपमुख्यमंत्री तस्वीरें खिंचवाना चाहते थे।
यह पहली बार है किहिंदुस्तान में मौतों के बीच उत्सव देखा गया।”पात्रा ने आरोप लगाया कि यह सब मुख्यमंत्री सिद्धारमैया और उपमुख्यमंत्री डीके शिवकुमार के बीचआपसी अनबन का नतीजा है।उन्होंने कहा, “12 घंटे के भीतर यह विजय जुलूस आयोजित किया गया, क्योंकि दोनों नेता अपनीतस्वीरें खिंचवाना चाहते थे। नतीजा 11 लोगों की मौत और 50 से अधिक लोगों का गंभीर रूप सेघायल होना है।”
उन्होंने बताया कि पहले भी मुंबई, कोलकाता और चेन्नई में क्रिकेट जीत के बाद विजय जुलूस हुए,लेकिन वे दो, तीन या पांच दिन बाद आयोजित किए गए, ताकि व्यवस्था सुनिश्चित हो सके।