प्रदूषण के चलते दिल्ली एनसीआर में फिर शुरू होगी पुराने वाहनों के खिलाफ कार्रवाई
प्रदूषण
सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को दिल्ली-एनसीआर में लगातार बढ़ रहेप्रदूषण मद्देनजर दिल्ली एनसीआर में 10 साल से अधिक पुरानी डीजल और 15 साल से अधिकपुरानी ऐसे पेट्रोल वाहनों के खिलाफ कार्रवाई करने की अनुमति दे दी है जो बीएस-IV के उत्सर्जनमानक को पूरा नहीं करती है। शीर्ष अदालत ने 12 अगस्त, 2025 के अपने उस आदेश में संशोधनकरते हुए यह आदेश पारित किया है,
जिसके तहत 10 साल से अधिक पुरानी डीजल और 15 सालसे अधिक पुरानी पेट्रोल वाहनों के खिलाफ कार्रवाई पर रोक लगा दी गई थी। मुख्य न्यायाधीशसूर्यकांत, न्यायमूर्ति जॉयमाल्या बागची और विपुल एम पंचोली की पीठ ने दिल्ली एनसीआर में हवाकी गुणवत्ता की निगरानी के लिए गठित वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग (सीएक्यूएम) के आग्रह कोस्वीकार करते हुए पुराने वाहन मालिकों को कार्रवाई से दी गई राहत को खत्म कर दिया।सीएक्यूएम की ओर से अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल (एएसजी) ऐश्वर्या भाटी ने पीठ से 12 अगस्तके अपने आदेश में संशोधन करने का आग्रह करते हुए कहा
कि ‘इसकी वजह प्रदूषण फैलाने वालेवाहन भी सड़कों पर वापस आ गए हैं। उन्होंने पीठ को बताया कि पुराने वाहनों के सड़कों पर आने
के चलते प्रदूषण बोझ और अधिक बढ़ रहा है और क्योंकि राज्य के सरकार के सक्षम अधिकारियोंद्वारा की जा रही कार्रवाइत्तर् पर रोक लगा दी गई है। इसके बाद शीर्ष अदालत ने कहा कि ‘12अगस्त, 2025 के आदेश में इस हद तक बदलाव किया जाता है कि बीएस-IV और नए उत्सर्जनपैमाना वाले वाहनों के मालिकों के खिलाफ इस आधार पर कोई जबरदस्ती कार्रवाई नहीं की जाएगीकी, वे 10 साल पुराने डीजल और 15 साल पुराने पेट्रोल वाहन हैं।’

अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल भाटी ने पीठ से कहा कि ‘विशेषज्ञ निकाय ने दिल्ली-एनसीआर मेंवाहनों से होने वाले प्रदूषण का आकलन किया और पाया कि बीएस-I, बीएस-II और बीएस-IIIउत्सर्जन पैमाना वाले वाहन अभी भी दिल्ली और एनसीआर की सड़कों पर संचालित हो रही है, जोउच्च प्रदूषण स्तर को देखते हुए नागरिकों के स्वास्थ्य के लिए हानिकारक है। एएसजी भाटी ने पीठको बताया कि ‘वाहनों से होने वाले उत्सर्जन को नियंत्रित करने के लिए, बीएस-VI उत्सर्जन स्टैंडर्डकी तुलना में इन वाहनों की उत्सर्जन क्षमता को देखते हुए, बीएस-III और उससे कम स्टैंडर्ड वालेवाहनों को सुप्रीम कोर्ट के 12 अगस्त, 2025 के आदेश के दायरे से बाहर रखने की आवश्यकता है।’
सीएक्यूएम ने पीठ से कहा कि वाहनों से होने वाला प्रदूषण दिल्ली-एनसीआर में आमतौर पर खराबहवा की गुणवत्ता में सबसे महत्वपूर्ण योगदान देने वाले कारकों में से एक है
और ऐसे वाहन जिनकीसमयावधि खत्म हो चुका है, का परिचालना हमेशा चिंता का विषय रहा है। एनजीटी ने 2014-2015में एनसीआर में 10 पुरानी डीजल और 15 साल पुरानी पेट्रोल वाहन के परिचालन पर प्रतिबंध लगादिया था। सुप्रीम कोर्ट ने 29 अक्टूबर 2018 में पारित अपने फैसले में एनजीटी के इस आदेश कोबरकरार रखा था। सुप्रीम कोर्ट में दी गई जानकारी के अनुसार बीएस-III और उससे कम एमिशनस्टैंडर्ड वाले वाहनों से होने वाले प्रभाव का विश्लेषण करने के बाद, सीएक्यूएम ने कहा कि बीएस-IIIउत्सर्जन स्टैंडर्ड वाले वाहन 15 साल से अधिक समय से चल रहे हैं, जबकि बीएस-II वाले वाहनों को20 साल से अधिक समय हो गया है और बीएस-I स्टैंडर्ड वाले वाहनों को 24 साल से अधिक हो गयाहै।
शीर्ष अदालत में पेश रिपोर्ट में कहा गया है कि ‘चूंकि दिल्ली-एनसीआर में असाधारण स्थिति कासामना कर रहा है, खासकर सर्दियों के मौसम में खराब मौसम की स्थिति के कारण प्रदूषण फैलानेवाले तत्वों के ठीक से न फैलने की वजह से, इसलिए उत्सर्जन स्टैंडर्ड के आधार पर प्रदूषण फैलानेवाले वाहनों के परिचालन पर रोक लगाने की जरूरत है।

