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दिल्ली के सीएम ने खुद माना तीसरी बार सरकार बनाने जा रही भाजपा केजरीवाल के बयान पर भाजपा ने ली चुटकी

केजरीवाल के बयान पर भाजपा ने ली चुटकी

तिहाड़ जेल से बाहर निकलने के बाद शनिवार को दिल्ली के
मुख्यमंत्री और आम आदमी पार्टी (आप) के सयोजक अरविंद केजरीवाल ने पार्टी दफ्तर में प्रेस
कांफ्रेंस को संबोधित किया। इस दौरान उन्होंने भाजपा पर जमकर निशाना साधा।

सीएम केजरीवाल के हमलों का जवाब देते हुए भाजपा ने पलटवार किया है। भाजपा सुधांशु त्रिवेदी ने
कहा कि दिल्ली के मुख्यमंत्री केजरीवाल का दावा है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी चाहते हैं कि अमित
शाह सफल हों, इस तरह से केजरीवाल स्वीकार कर रहे हैं कि भाजपा लगातार तीसरी बार सत्ता
बरकरार रखेगी। उन्होंने कहा कि केजरीवाल ने चाहे-अनचाहे यह मान लिया है कि मोदी सत्ता में
वापसी कर रहे हैं।

भाजपा का प्रधानमंत्री उम्मीदवार कौन है- केजरीवाल

दरअसल, सीएम केजरीवाल ने प्रेस कांफ्रेंस में कहा कि भाजपा इंडिया गठबंधन से पूछती है, आपका
प्रधानमंत्री कौन होगा। मैं भाजपा से पूछता हूं कि आपका प्रधानमंत्री कौन है। क्योंकि मोदी जी अगले
साल 17 सितंबर को 75 साल के हो रहे हैं। भाजपा के अंदर मोदी जी से खुद नियम बनाया था कि
जो 75 वर्ष का होगा उसे रिटायर कर दिया जाएगा। अब मोदी जी अगले साल 2025 को रिटायर

होने वाले हैं। दोस्तों अगले वर्ष अगर इनकी सरकार बनी तो पहले अगले दो महीने में योगी जी को
निपटाएंगे ये, इसके बाद ये सीधे पीएम मोदी के करीबी अमित शाह को प्रधानमंत्री बनाएंगे।
मोदी जी अमित शाह के लिए वोट मांग रहे हैं

अरविंद केजरीवाल ने कहा कि मैं देश के लोगों को आगाह करता हूं। मोदी जी अपने लिए वोट नहीं
मांग रहे हैं। वो अमित शाह को प्रधानमंत्री बनाने के लिए वोट मांग रहे हैं। मैं पीएम मोदी और
अमित शाह से पूछना चाहता हूं, कि ये मोदी की गारंटी पूरी कौन करेगा?

केजरीवाल को पार्टी के सहयोगियों पर भरोसा नहीं

केजरीवाल के आरोपों का जवाब देते हुए भाजपा प्रवक्ता सुधांशु त्रिवेदी ने चुटकी ली। उन्होंने कहा कि
केजरीवाल अपनी पार्टी की सफलता के बारे में बात कर रहें हैं, लेकिन उन्हें अपनी पार्टी के किसी भी
सहयोगी पर भरोसा नहीं है।

सिद्धांतों को ताक पर रख दिया

केजरीवाल द्वारा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर तानाशाही का आरोप लगाने पर उन्होंने कहा कि
केजरीवाल ने प्रशांत भूषण, योगेंद्र यादव, कुमार विश्वास और किरण बेदी जैसे अपने कई सहयोगियों
को बाहर कर दिया और राजनीति में आने के दौरान उन्होंने जो सिद्धांत बनाए थे उनको ताक पर
रख दिया।

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