धर्म

महाकाल मंदिर में शाम को धूमधाम से निकलेगी सवारी, सात रूपों में देंगे दर्शन

महाकाल मंदिर में सावन के सातवें सोमवार को आस्था का जनसैलाब

विश्व प्रसिद्ध ज्योतिर्लिंग भगवान महाकाल के मंदिर में सावन
महीने के सातवें सोमवार को भी आस्था का जनसैलाब उमड़ा।

महाकाल की सातवीं सवारी 
तड़के 2:30 बजे कपाट खुलने के बाद मंदिर परिसर भगवान शिव के जयकारों से गूंज उठा। बड़ी संख्या
में श्रद्धालु भस्मारती में शामिल हुए। इसके बाद से दर्शन का सिलसिला जारी है। शाम चार बजे भगवान
महाकाल की सातवीं सवारी धूमधाम से निकाली जाएगी। इस दौरान अवंतिकानाथ सात स्वरूपों में
श्रद्धालुओं को दर्शन देंगे। नगर भ्रमण का प्रजा का हाल जानेंगे।

श्रावण मास के सातवें सोमवार को नागपंचमी का सुयोग

इस बार श्रावण मास के सातवें सोमवार को नागपंचमी का सुयोग बना है। महाकालेश्वर मंदिर के तृतीय
तल पर स्थित नागचंद्रेश्वर मंदिर के कपाट साल में एक बार नागपंचमी पर 24 घंटे के लिए खुलते हैं।
इस मंदिर के पट रविवार रात 12ः01 बजे खोले गए। भगवान नागचंद्रेश्वर का विधि-विधान से पूजन-
अर्चन किया गया। इसके बाद यहां श्रद्धालुओं के दर्शन का सिलसिला शुरू हुआ, जो देर रात तक चलेगा।
यहां रात नौ बजे से ही श्रद्धालुओं की लम्बी कतारें लग गई थीं।

भगवान महाकाल पहला पूजन

महाकालेश्वर मंदिर के पट तड़के 2.30 बजे खोले गए। मंदिर के महेश पुजारी ने बताया कि सुबह भस्म
आरती में भगवान महाकाल पहला पूजन किया गया। गर्भगृह में स्थापित सभी भगवान की प्रतिमाओं का
जलाभिषेक कर दूध, दही, घी, शक्कर, शहद से बने पंचामृत से भगवान महाकाल पूजन किया। हरि ओम
जल चढ़ाकर कपूर आरती के बाद भांग, चंदन, अबीर के साथ महाकाल ने मस्तक पर चंद्र और आभूषण
अर्पित कर राजा स्वरूप में शृं गार किया गया। इसके बाद ज्योतिर्लिंग को कपड़े से ढक कर भस्मी रमाई
गई। भस्म आरती में बड़ी संख्या में श्रद्धालु शामिल हुए।

महाकालेश्वर भगवान की श्रावण/भाद्रपद माह में निकलने वाली सवारियों के क्रम में शाम चार बजे सातवीं
सवारी निकलेगी। इस दौरान भगवान महाकालेश्वर सात स्वरूपों में भक्तों को दर्शन देंगे। सवारी में
अवंतिकानाथ चांदी की पालकी में चंद्रमौलेश्वर, हाथी पर मनमहेश, गरुड़ पर शिवतांडव, नंदी पर उमा
महेश, डोल रथ पर होलकर तथा अन्य रथों पर घटाटोप व सप्तधान रूप में सवार होकर भक्तों को दर्श

महेश, डोल रथ पर होलकर तथा अन्य रथों पर घटाटोप व सप्तधान रूप में सवार होकर भक्तों को दर्शन
देने के लिए निकलेंगे।

भगवान चन्द्रमौलेश्वर पालकी में विराजित होकर नगर भ्रमण पर 
सवारी निकलने के पूर्व महाकालेश्वर मंदिर के सभामंडप में भगवान चन्द्रमौलेश्वर का विधिवत पूजन-
अर्चन होगा। उसके बाद भगवान चन्द्रमौलेश्वर पालकी में विराजित होकर नगर भ्रमण पर निकलेंगे।इसके
बाद मंदिर के मुख्य द्वार पर सशस्त्र पुलिस बल के जवानों द्वारा पालकी में विराजित भगवान को
सलामी दी जाएगी। उसके बाद सवारी परंपरागत मार्ग महाकाल चौराहा, गुदरी चौराहा, बक्षी बाजार और
कहारवाडी से होती हुई रामघाट पहुंचेगी, जहां क्षिप्रा नदी के जल से भगवान का अभिषेक और पूजन-
अर्चन किया जाएगा। इसके बाद सवारी परम्परागत मार्ग से पुन: महाकालेश्वर मंदिर पहुंचेगी।

मंदिर प्रशासक संदीप सोनी ने बताया कि भक्तों की बढ़ती संख्या को देखते हुए सुरक्षा व्यवस्था भी
पुख्ता की गई है। जिला और पुलिस प्रशासन ने अतिरिक्त कर्मचारियों और पुलिस अधिकारियों को तैनात
किया है।

भक्तों की भीड़ को देखते हुए उन्हें 40 मिनट में दर्शन मिल सकें, इसके इंतजाम किए गए हैं।
सुबह जिन श्रद्धालुओं को भस्म आरती में अनुमति नहीं मिली, उन्हें चलित भस्म आरती से दर्शन कराए

 

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